NRC NPR NRIC CAA  विरोध PART -2 

मे आपका स्वागत है इसे पूरी तरह समझने के लिए कृपया आप






क्या है गृह युद्ध ? (civil war)


क्या मेरा भा भी इस और जा रहा है ?

आइये जानते है

बोहोत ही सादी भाषा मे कहे तो गृह मतलब घर और युद्ध का मतलब लड़ाई आप जानते ही है (यहाँ गृह  घर से मतलब है हमारा ही देश)
लेकिन गृहयुद्ध की जब हम बात करते है तो गृह से मतलब है की अपने ही देश के अंदर होने वाला युद्ध


अब आप कहेंगे की दो देशो के बीच होने वाली लड़ाई को युद्ध कहते है ,जी हाँ ये बात सच है युद्ध किसी दो देश के बीच होने वाली लड़ाई है आज के हालत के संदर्भ मे ,जैसे की भारत पाकिस्तान का युद्ध भारत और चीन का युद्ध , लेकिन तब क्या हो जब अपने ही देश मे कोई दो गुट (ग्रुप) या संगठन लड़े ? और देश दो (या उससे ज्यादा)भागो मे बँट जाए ? सामान्यत: गृहयुद्ध उसे कहा जाता है की अगर एक ही देश के लोग अलग-अलग संगठन मे बट जाए और एक दूसरे के साथ युद्ध करे , (कभी कभी गृह युद्ध उन दो देशो के बीच भी हो सकता है जो कभी एक ही रहे हो उदाहरण के तौर पर भारत और पाकिस्तान )


गृह युद्ध क्यूँ होता है ?

मुख्यतः ऐसा होता ही की किसी भी एक देश मे कोई दो बड़े गिरोह या ग्रुप बन जानते है(जैसे की आज भारत मे हिन्दूत्व और नॉन हिन्दुत्व हो रहा है )इन दोनो ग्रुप की लड़ने की या युद्ध करने की वजह अलग अलग हो सकती है
उदाहरण से समजते है  जैसे की 

ग्रुप नं 1

चाहता है की वो देश मे वो संविधान को बदले सरकारी नीतियों को बदले देश को किसी भी पैमाने पर विभाजित करे तोड़े और  पूरे देश को अपने कंट्रोल मे लेले और अपने मन मुताबिक कायदे कानून व्यवस्था लागू कर के देश पर राज करे या तानाशाही करे


जब की ग्रुप नं

चाहता है की देश मे कानून व्यवस्था हो देश दो भागो मे बटे सब मिलजुल के रहे सभी के लिए समान कानून हो  जहा कोई भेदभाव हो और देश किसी एक तनाशाह के कंट्रोल तले डर के जीने के बजाए स्वतंत्रता और लोकशाही से जिये

(क्या ऐसा नहीं लगता की भारत मे ऐसा ही हो रहा है ?)

ग्रुप 1

हमारे यहा BJP RSS और हिन्दुत्व वादी संगठन है जो मनुस्मृति मे मानते है।


(RSS की मानसिकता रखने वाले मोदी ओर अमित शाह भरत मे CAA NRC NPR लागू कर के भारत को बांटना चाहती है और मनुस्मृति लागू करना चाहते है )



ग्रुप 2

 हमारे यहाँ नॉन हिन्दुत्व मतलब संविधान मे मानने वाले
 (जब की मुस्लिम सीख एससी एसटी ओबीसी mainority सारे   लोग आज एक हो कर संविधान बचाने की बात कर रहे है)


 और आप जानते ही है जैसे उदाहरण मे ग्रुप 1 की मानसिकता है अगर वैसी मानसिकता वाले ग्रुप सत्ता मे आजाए तो किसी भी देश का सत्यानाश हो सकता है जहां कोई एक तबके के लोग बड़े सुख से जीते है और दूसरे तबके के लोगो को कोई अधिकार नहीं होता हमेशा परेशानी और गुलामी का जीवन जीना पड़ता है

दुनिया की महासत्ता अमेरिका मे भी एक गृहयुध्ह हुआ था जिसको अमेरीकन सिविल वॉर के नाम से जाना जाता है।
आइये अमेरीकन सिविल वॉर के बारे मे जानते है ताकि इस मुद्दे की आपको पक्की समझ अजाए


अमेरिकन सिविल वॉर


गृहयुद्ध की चपेट मे अमेरिका भी आचूका है
सन् १८६१ से १८६५ के काल में संयुक्त राज्य अमेरिका के दो मुख्य राज्य  उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों के बीच में गृह युद्ध हुआ था।
जिसकी मुख्य वजह थी दास प्रथा ,

इस युद्ध में उत्तरी राज्य वाले  अमेरिका की संघीय एकता बनाए रखना चाहते थे और पूरे देश से दास प्रथा हटाना चाहते थे। अमेरिकी इतिहास में इस पक्ष को 'यूनियन' (Union यानि संघीय) कहा जाता है।


जब की  दक्षिणी राज्य वाले  अमेरिका से अलग होकर 'परिसंघीय राज्य अमेरिका' (Confederate States of America, कन्फ़ेडरेट स्टेट्स ऑफ़ अमॅरिका) नाम का एक नया राष्ट्र बनाना चाहते थे जिसमें यूरोपीय मूल के   गोरे लोगों को अफ्रीकी मूल के काले लोगों को गुलाम बनाकर ख़रीदने-बेचने का अधिकार हो।


इस पक्ष को रिबेल कहा जाता था । मतलब बगावती
( जिसमें उत्तरी राज्य विजयी हुए और अमेरिका से दास प्रथा हट गई )


* क्या आपको नहीं लगता भारत मे ऐसा ही हो रहा है हिंदित्व बनाम नॉन हिन्दुत्व ?*
 फर्क सिर्फ इतना है यहा के स्तत्ताधारी लोग असामानता चाहते है और बगावती लोग समानता और भेदभाव बिना का समाज चाहेंगे ।


क्या हो सकते है इसके परिणाम ?
{गृहयुद्धों परिणाम अक्सर बहुत घातक होते हैं –

 लाखों मर सकते हैं, करोड़ों बेघर हो सकते हैं, देश में दशकों तक चलने वाली भयंकर ग़रीबी और भुखमरी फैल सकती है और देश का उद्योग लम्बे अरसे के लिए चौपट हो सकता है।

बर्मा, अंगोला और अफ़्ग़ानिस्तान ऐसे देश हैं जिनका भविष्य कभी बहुत उज्वल माना जाता था लेकिन गृहयुद्ध की चपेट में आने से यह दुनिया के सबसे पिछड़े और असुरक्षित देशों में गिने जाने लगे। गृहयुद्धों के दौरान अक्सर विदेशी ताक़तें भी देश को कमज़ोर पाकर उसमें हस्तक्षेप करने लगती हैं, जैसा की १९७५-१९९० तक चलने वाले लेबनान के गृहयुद्ध में हुआ।}{}<सोर्स विकिपीडिया 
(अंडरलाइन किए गए शब्दो से आप अंदाज़ा लगा सकते है की भारत उसी और बढ़ रहा है । )

सीरिया का गृह युद्द
और भा का भविष्य
  
आप सब ने न्यूज़ मे चेनलों मे  सीरिया के बारे मे सुना होगा कई फिल्मे भी बनी है उसके ऊपर । और हमेशा वहाँ युद्ध चलता रेहता है लड़ाई हमला । टूटी हुई इमारतें ,महिलाओं पर विकृति की हद के बाहर अत्याचार बलात्कार लोगो को मारा जा रहा है , 

आतंकी संगठन भुखमरी गरीबी कोई रोजगार नहीं गलि गली मे सिर्फ और सिर्फ गोली बारी सिर पर मंडराति हुई मौत । शायद यही तस्वीर आपकी आंखो के सामने छा जाती है जब भी सीरिया की बात होती है । 

यकीन मानिए जब मैं आपसे सीरिया की बात करूंगा तो आपको उसमे काही न काही मौजूदा भारत की तस्वीर नज़र आएगी की हाँ मेरे भारत को भी इसी रास्ते ले जया जा रहा है ।
 विस्तार से बात करे इस से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान पर एक नज़र डालते है


डोनाल्ड ने कहा था की सीरिया का राष्ट्रपति तानाशाह है । बात सच्ची है । सीरिया के राष्ट्रप्रमुख जब से गद्दी पर बैठे है वह अपनी ही मनमानी चला रहे है । उन्हे देश और देश मे चलती समस्या से कोई मतलब नहीं है । इस का सबूत हमे इस तरीके से मिल जाता है । की
2000 की साल मे जब 

राष्ट्रपति बशर अल-असद
ने अपने पिता हाफेज़ अल असद की जगह ली थी उसके पहले ही इस सरकार के खिलाफ वहाँ के नागरिकों मे भारी निराशा थी वो क्यूँ ?
क्यों की

संघर्ष शुरू होने से पहले ज़्यादातर सीरियाई नागरिकों के बीच भारी बेरोज़गारी, व्यापक भ्रष्टाचार, राजनीतिक स्वतंत्रता का अभाव और  इसी लिए राष्ट्रपति बशर अल-असद के दमन के ख़िलाफ़ निराशा थी.



 *यही हालत अब भारत मे हो रहे है ऐसा नहीं लगता ? भ्रष्टाचार की हद हो चुकी है , बेरोजगारी भी हद से गुज़र चुकी है , लोकतन्त्र मे आप विरोध तक नहीं कर सकते मतलब राजनीतिक दमन है , और स्वतंत्रता का अभाव है पहले कभी ऐसा हुआ क्या ? की किसी प्रधान मंत्री के खिलाफ आप अपने पान के ठेले पर खड़े हो कर  कुछ नकारात्मक बोल दे और आपको आपकी जान जाने का या मार खाने का डर सताने लगे ? सोचिए ? हे न छोटी सी बात पर कितनी संगीन ? आज मोदी के बारे मे बोल के देखिये विरोध कर के देखिये डर हावी हो जाएगा अरे हिम्मत तक नहीं होती होगी आपकी , है न ? तो क्या यही आज़ादी है ? यही लोकशाही है ?  हो रहा है न बिलकुल सीरिया की तरह ? *



संघर्ष शुरू होने से पहले ज़्यादातर सीरियाई नागरिकों के बीच भारी बेरोज़गारी, व्यापक भ्रष्टाचार, राजनीतिक स्वतंत्रता का अभाव और  इसी लिए राष्ट्रपति बशर अल-असद के दमन के ख़िलाफ़ निराशा थीअन्न केदाने दाने को तरसता सीरिया और यहाँ उनका राष्ट्रपति करोड़ो का सूट पहन रहा था ।

अरब के कई देशों में सत्ता के ख़िलाफ़ शुरू हुई बगावत से प्रेरित होकर मार्च 2011 में सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में भी लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन शुरू हुआ था. और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग शुरू हुई ।




लोकतन्त्र के समर्थन मे शुरू हुआ यह शांतिपूर्ण आंदोलन बशर अल असद को रास नहीं आया  और उन्होने लोगो पर अपनी पुलिस और सैनिको द्वारा मारपीट कर के दमन शुरू कर दिया ।और उसने आंदोलन को कुचलने के लिए क्रूरता दिखाई।




*भारत मे भी CAA NRC एनआरआईसी NPR जैसे काले कानून लागू कर के लोगो को बांटा जा रहा है हिन्दुत्व जात पात मे मानने वाले, मुसलमानो का और दलित अनुसूचित जाती 
 को तुच्छ समाजने वाले, RSS की मानसिकता वाले लोग CAA लाये उसके खिलाफ  लोकतन्त्र बाँचने के लिए आंदोलन शुरू हुआ शाहीन बाग से लेके

भीम आर्मी तथा कई अन्य संगठन इसका विरोध करने लगे । तो सरकार ने क्या किया? इनपर दमन किया, इन्हे मारा, जैल मे डाला ।




 इनको तोड़ने के लिए हिन्दू मुसलमान किया अपने नुमाइंदे भेज कर आंदोलन मे पत्थरबाजी कारवाई ,


अमीर गरीब का फर्क पैदा किया

समानता मिटाई गरीब के बच्चे 
पढ़ न सके इस लिए JNU का 
मुद्दा मुसलमान sc st obc को 
सताने के लिए NRC CAA, 



तड़ीपार को गृहमंत्री बना दिया । 
जस्टिस लोया की हत्या फर्जी एंकाउंटर, जेड़े,गौरी लंकेश , जैसे पत्रकारों की हत्या , जब इस्तीफा मांगा आंदोलन कारियों को मारा गया, इनके संगठनो द्वारा दलितों पर


अत्याचार किए गए गाय के नाम पर कभी राजाओ की तरह मुछ रखने के नाम पर कभी शादी मे घोड़े पर क्यूँ बैठा दलित इसके नाम पर और गरीब दलित लड़कियो के बलात्कार कर के बिलकुल वही हो रहा है जो सीरिया मे हुआ था ।


 हकीकत को जारी रखते हुए बात करे फिर से सीरिया की तो ,सीरिया मे लोकतन्त्र और आज़ादी चाहने वालों पर सरकार ने बहुत अत्याचार किया । अत्याचार से पीड़ित हो चुकी प्रजा आखिर सह सह कर कितना सहेगी ? कितना मार खाएगी कितनी जाने देगी ? अत्याचार ही क्रांति की जननी है, उसी तरह अब तंग आचूकी प्रजाने भी आखिरकार शांतिपूर्ण विरोध करते करते काफी कुछ झेला एक तरफ शांति और दूसरी और शस्त्र , इसी लिए अब विरोध कर रही प्रजा ने भी अपने हाथ मे शस्त्र उठा लिया । और धीरे धीरे सीरिया गृहयुद्ध की चपेट मे आगया अबतक शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे और दमन से तंग आ चुके लोग भी आरपार की लड़ाई के लिए तैयार थे । अब वो किसी भी पुलिस वर्दी वाले से नहीं डरने वाले थे जो लोग  अब इनकी मार खा रहे थे अब इन्हे मारने मे डराने मे पीछे नहीं थे । लड़ाई शुरू हो चुकी थी और गृह युद्ध छिड़ चुका था ।

भारत के हालत की तुलना करे तो भारत मे भी सरकार के दमन के चलते कई बार तंग आ चुकी जनता ने जो 70 साल मे नहीं किया ।
यह सत्तर का आंकड़ा हम नहीं मोदी जी ही इतनी बार आलाप चुके है की कोई सटोरी शराब के नशे मे उसी नंबर पर अटका हो , जब जनता पर ज़्यादा चलन और ट्रान्सपोट के नियम ट्राफिक के नियम थोप दिये गए तब भारत के कई राज्यो मे पुलिस ने जनता को बेवजह तंग कर के लूटना शुरू कर दिया था । इसी के चलते परेशान हो चुकी जनता ने भी पुलिस को अपना पावर दिखते हुए कई पुलिस वालों को धुलाई कर दी थी  , जनता का मूड बदल चुका है , सहते सहते जनता इतनी तंग आ गई है की जब ऐसे भी मारना है और वैसे भी मारना है तो  क्यूँ फिर सेह कर मरे? अब जनता सहना नहीं चाहती , पैसा नहीं हे , है और बैंक मे है तो बैंक बंद , घर मे है तो नोट बंद , रोजगार है नहीं , मोदी जी पहले 15 लाख देने की

बात कर रहे थे अब महिलाओं के गहनों तक आ गए है ।


शायद यह फेक न्यूज हो सकती है लेकिन हमे मोदीजी की नियत पर पूरा भरोसा है । 

वाह किस तरफ ले गए मोदी जी आप देश को अब तो भारत के लोग भी इतने निडर हो गए है की अपनी मांग के लिए सड़क तक और सड़क से अपने हाथों मे पत्थर और डंडे आपकी पुलिस और सेना पर बरसा सके इतना जिगर जुटा लिया है .


दूसरे देश और आतंकी संगठनो का हस्तक्षेप

सीरिया मे लोकतन्त्र  के समर्थन मे और राष्ट्रपति को इस्तीफा मांगने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन अब 2012 आते आते सम्पूर्ण गृहयुध्ह बन गया था । और सीरिया के तनाशाह राष्ट्रपति ने इन लोगो को उग्रवादी आतंकवादी घोषित कर दिया ।

 
लड़ाई दोनों तरफ से होने लगी सत्ताधारी पक्ष और विरोध पक्ष
अब सरकार को मदद करने के लिए रशिया जैसे देश सिरया के प्रमुख असद के समर्थन मे आए तो यहाँ विरोधी लोगो को भी तो हथियार असला खाना हर तरह की मदद चाहिए थी , इस लिए कइ अरब देशो ने इनकी मद की  , राष्ट्रपति शिया मुसलमान है इस लिए  फिर एक नया बवाल शुरू हो गया नया भेद सिया और सुन्नी मुसलमानो का । लोग लड़ते गए लड़ाई के अंदर लड़ाई और लड़ाई इस तरह कई संगठन बने , आप सब जानते है जब किसी घर मे लड़ाई होती है तो बाहर वाले उसे हड़पने के लिए उसपर टूट पड़ते है , इसी तरह इस्लामिक स्टेट ने भी अपने पैर पसारे आतंक की शुरुवात की और अमेरिका ने सीधा हस्तक्षेप किया ,इन देशों ने असद और उनके विरोधियों को सैन्य, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन देना शुरू किया.सीरिया में कई देशों की एंट्री से युद्ध की स्थिति और गंभीर हो गई. सीरिया दुनिया का युद्ध मैदान बन गया.

जेहादी लोग भी इसमे कूद पड़े उन्हे सिया सुन्नी का भेदभाव पसंद आया । उसी तरह उत्तर के कइ इलाको पर isis आतंकी संगठन ने अपना कब्जा जमा लिया । हर तरफ लड़ाई ही लड़ाई और सीरिया पर आतंकी जेहादी दूसरे देश की फौज तो कही तानशाह असद का कब्जा हो गया सब तहस नहस हो गया ,


कौनसे देशो ने दिया साथ और ऐसे पसरा इस्लामिक स्टेट



दूसरी तरफ़ कथित इस्लामिक स्टेट का उत्तरी और पूर्वी सीरिया के व्यापक हिस्सों पर क़ब्ज़ा हो गया. यहां सरकारी बलों, विद्रोही गुटों, कुर्दिश रूसी हवाई हमलों के साथ अमरीकी नेतृत्व वाले गठबंधन देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ.
ईरान, लेबनान, इराक़, अफ़गानिस्तान और यमन से हज़ारों की संख्या में शिया लड़ाके सीरियाई आर्मी की तरफ़ से लड़ने के लिए पहुंचे ताकि उनके पवित्र जगह की रक्षा की जा सके.
असद के लिए सीरिया में स्थिति मुश्किल होती जा रही थी. असद ने अपना नियंत्रण हासिल करने के लिए विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाकों में सितंबर 2015 में हवाई हमले शुरू किए.



पुतिन ने दिया साथ


रशिया ने दिया साथ
6 महीने बाद पुतिन ने सीरिया से अपने सैन्य बलों की वापसी का ऐलान किया.न्होंने कहा कि सीरिया में उनका मिशन पूरा हो गया है. हालांकि रूसी मदद के कारण ही विद्रोहियों के क़ब्जे वाले क्षेत्रो में असद को फिर से नियंत्रण कायम करने में मदद मिली.
यह इलाका दिसंबर 2016 में विद्रोहियों के कब्जे में चला गया था.



कितने लोगो की जान गई ?

और इस्लामिक स्टेट भी विरोधियो को हर तरह की मदद पोहचा रहा है 2015 से UN ने मरने वालों की संख्या बताना बंद कर दिया है



4 लाख 70 हज़ार लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया है.
50 लाख लोग जिसमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं उन्हें सीरिया छोड़ भागना पड़ा. सीरिया संकट के कारण कई देश शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहे हैं.सीरिया का युद्ध कब ख़त्म होगा यह किसी को पता नहीं है. इस बीच अमरीका ने फिर सीरिया पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं.

मोदी की सारे देशो के साथ मित्रता और 
अमेरिका के राष्ट्रपति से डर जाना और मलेरिया की दवा देना 

, इकोनोमी का गिरना बेरोजगारी , महामारी, भुखमरी , खाली होता जनता का पैसा और रिजर्व बैंक , मोदी जी की RSS वाली सबको बांटने की राजनीति ,  शाहीन बाग पर हमला , शांति पूर्ण रूप से विजयस्थम्भ  के पास शौर्य दिवस मनाने वाले दलितो को मार कर अत्याचार कर के उन्हे ही नक्सलवादी घोषित कर दिया, और दंगा करवाने वाला आरएसएस , का पिट्ठू संभाजी भिड़े उसके मोदी पैर छूता है , कितनी शर्मनाक बात है की भारत का प्रधान मंत्री एक विकृत उग्रवादी आतंकी  सोच वाले इंसान के आगे झुकता है तो इस देश मे 
गरीब मुसलमान sc st obc की क्या हालत होती होगी ? 
देखिये सोशियल और गोदी मीडिया पर  इनके चर्चे 
ये बूढ़ा एक मास्टर माइंड आतंकी की तरह है । क्रूर पढ़ा लिखा लेकिन अपनी पीड़ित मानसिकता से ग्रसित वही ब्रेन वॉश वाली आरएसएस वाली मानसिकता जो हमारे इस aritcle के part 1 मे बताई गई है । लानत है 


हिन्दू मुसलमान , उसमे हिन्दूओ मे जात पात , अमीर गरीब , प्रांत वाद तू मराठी मे गुजरती हम पंजाबि तुम तमिल कइ सारे कारण है भारत मे दंगा करवाने के और हमरी नजरों के सामने है



 जिस समय हमे महामारी से निपटना चाहिए उस समय हम हिन्दू मुसलमान कर रहे है और जब वेंटीलेटर और दवाइ खरीदनी चाहिए तो हमारे देश की दवाई दूसरों को दे रहे है ओर मेडिकल सुविधा खरीदने की बजाए 870 करोड़ की मशीन गन मोदी खरीद रहे है ॥ अब आप ही सोचिए देश किस तरफ जा रहा है ???



यह तो सिर्फ एक मुद्दा एक हथियार हमने डिस्कस किया है हमारे देश की बीजेपी द्वारा की जाने वाली  बरबादी का और तो कइ मुद्दे है , जैसे पूंजी वाद , और सेना का साशन(सरमुखत्यार शाही) जैसे पाकिस्तान मे जनरल मुशर्रफ का था ,  अगले आर्टिक्ल मे पूंजीवाद पर बात होगी किस तारीके से भारत को 
जान बुझ कर गरीब बनाया जा रहा है । 

।  CAA NRC NPR का विरोध का  पार्ट 2 मे इतना ही ।
जल्द भारत मे चल रहे  पूंजीवाद पर बात होगी ,


 आर्टिक्ल by 
                                                                            DIPATIL 

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