जी हां जरा सोचिए दवा ज़्यादा तर कड़वी ही क्यूं होती है सच की तरह ? और तारीफ चाहे झूठी ही क्यूं ना हो वो मीठी लगती है मिठाई की तरह। फिर वो चाहे किसी की भी ही। या सरकार की ही क्यूं ना हो।

और आज कल यही हो रहा है जैसे मानो डायबिटीज के मरीजों का इलाज हम मीठा खिला कर कर रहे है और यह मान भी रहे है कि वह बिल्कुल स्वस्थ हो गया है। 

 उसी तरह अस्पतालों की जगह हम सभी मंदिर मस्जिद की लड़ाई में इतने व्यस्त हो चुके है कि सही मुद्दों पर हमारा ध्यान ही नहीं है । जिस समय अस्पताल बनाने चाहिए हम मंदिर बना रहे है।
  गर मीठी दवा से ही सचमुच मर्ज ठीक होता तो सारे हकीम शक्कर ही बांटते
इलाज चिरोंजी लड्डू और मिठाइयों से होता । हर हलवाई केमिस्ट होता और हर पुजारी इमाम पादरी डॉक्टर होते । अस्पतालों की जरूरत ना होती मंदिर मस्जिद देवालय ही बनाए जाते और मेडिकल स्टूडेंट को भी इलाज के बजाए पूजा पाठ इबादत और प्रयेर कैसे की जाए यही सिखाया जाता। 
 यूं तो जनता बोहोत परेशान है रोजगार नहीं है पैसा नहीं है .. अर्थतंत्र डूब चुका है। महामारी भी फैली है .. पाई पाई के लिए तरसती जनता मुसीबतों के बीच रही सही कसर १८९३ में तिलक द्वारा खोजे गए वायरस ने आज पूरी कर दी , आर्थिक उन्माद पैसों की बरबादी . मोटिवेशनल स्पीकर को सुन सुन कर . जनता का अवचेतन मन इतना शक्ति शाली हो गया है कि 
चिरोंजी लड्डू और मिठाई ही दवा का काम कर देती है . अब मन की शक्ति आगे विज्ञान की क्या बिसात...

 २०२० की इन सारी परेशानियो के बीच अब भगवान भी ज़मीं पर और घर घर में ऊ त र आए है। थोड़े दिनों। में ज़मीं के तल तक पहुंच
 जाएंगे बस अब आशा है कि महामारी भुखमरी अर्थतंत्र और रोजगार की सारी समस्या ही जड़ से मिट जाए । क्यू की बड़े से बड़े सुखी संपन्न लोगों को भी जब कुछ नहीं सूझता तो आखिर वो भगवान के पास जाते है ।
और कहते है आज खुश तो बहोत होंगे तुम । सुना है गर सच। में भगवान खुश हो जाते है तो आपकी सारी समस्याएं ही मिट जाती। 

है चाहे फिर उन्हें खुश करने के लिए आपको आर्थिक उन्माद ही क्यों ना करना पड़े। क्यूं की आज तक जो इंसान तुम्हारे मंदिर की सीढ़ियां नहीं चढ़ा वो आज इतना कुछ लिख रहा है। शायद इन सब से भारत भूमि भी इतनी मोटिवेट हो चुकी है कि उससे भी रहा नहीं जा रहा मानो अपने ही बच्चों से पूछ रही हो। 
मेरे पास आज विकास कि बारिश है आंसू ओ की बाढ़ है । भुखमरी है। बेरोजगारी है । लूटी हुई इज्जत बिका हुआ ईमान है महामारी है । तुम्हारे पास क्या है??
और लगता। है भारत मां के सपूतों ने भी बहादुरी से जवाब दिया हो । मेरे पास भगवान है..... ☝️🙏 
                                                    आर्टिकल बाय
                                                  D.I.PATIL 

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