कोरोना, राजनीति , समाज , और
इन तीनों के पीछे
अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए
लाइन में लगी नागरिकता
, और बैंक में
डुबे पैसो का
मसला तो अब
किसी को याद
भी नहीं , अख़बार
के किसी कोने
में छोटी सी
न्यूज़ पढ़ी थी
की (LIC) भी बिकने
को है। मतलब कोरोना
से मौत होने
के बाद अब
प्राइवेट बिमा कंपनी
में क्लेम साबित
करने में ,एक
विधवा को बड़ी
दिक्कत होगी। सारे मसलों
पर छोटी छोटी बात
करेंगे…
कोरोना
से शुरू करते है.
एक सच्ची खबर को
दबाने के लिए
काल्पनिक मुसीबत
खड़ी करना
भारत का मीडिया
बखूबी जानता
है। बेरोजगारी,आसिफा का मुद्दा
, रिजर्व बैंक के
बदलते गवर्नर,इन
मुद्दों को दबाने
के लिए हमेशा
हिन्दू मुस्लिम करते मीडिया
चैनल्स आप सब
जानते है।ऐसे में
बेरोजगारी ,अर्थव्यवस्था ,बैंक का
डूबना इन सब
मुद्दों से परे
करोडो रूपइयो में
विधायक ख़रीदे जा
रहे है। होना तो
ये चाहिए था
की ये करोडो
रुपैये कोरोना की दवा बनाने में इस्तेमाल होते।
वैश्विक महामारी जो चीन से निकली थी एक जैविक हथियार के अफवाह के बिच कोरोना अब हमारे
घरो तक लगभग पहुंच चुकी है। पहले हमें
इससे निपटना चाहिए इसके लिए हमें सावधानी रखनी
होगी और लोगो को भी जागृत करना होगा।
ये हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है।खैर जान है
तो जहाँ है। है
न ? पैसा
और बिमा का
क्या है और सरकार किसकी भी बने
हमें सबसे पहले
बस कोरोना पर
ध्यान देना चाहिए।
राजनीति
१४४ लगी
है, कर्फ्यू है। भीड़
इक्कट्ठा नहीं हो
सकती३ से ज़्यादा
लोग इकठ्ठा न
होने की स्थिति
में शिवराज मुख्यमंत्री
, बन जाते है
शपथ लेते है
? क्या सरकार सिर्फ दो
लोगो के इकठ्ठा
होने से
बनी ? और
जो शपथ विधि
हुई उसमे क्या
सिर्फ दो ही लोग
थे? अगर नहीं
तो क्या सिर्फ
जनता ही इसका
पालन कर रही है
? क्या इस से ये
नहीं लगता की इस सच्ची घटना का गंभीर बीमारी का
इस्तेमाल राजनीति में
वैसे ही किया जा रहा है जैसे गोदी मीडिया हरदम एक सच्ची मुसीबत को दबानेके लिए काल्पनिक मुसीबत खड़ी
करती है। फर्क सिर्फ इतना है इस बार ये मुसीबत सच्ची है। जान तक बन आई हे। इस लिए जनता भी सब कुछ छोड़कर अपनी जान बचाने में
लगी है।
समाज
मनोविज्ञान में इसे
बैंजामिन फ्रेंक्लिन इफ़ेक्ट कहते है...
की आप किसी से एक बार
अपनी बात मानवओ या एक बार उनसे मदद लो तो सम्भावना ९९ प्रतिशत है की वो दुबारा आप जो
कहेंगे करेगा। उसी तरह प्रयोग हुआ जनता को
सम्बोधित
कर के एक दिन माँगा
प्रधानमंत्री ने. लोगो ने दिया ,
बिलकुल बेंजामिन फ्रेंकलिन
इफ़ेक्ट की तरह हुआ सरकार ने कलम लगा कर हमें घर में ही बंद कर दिया। और खुद
मध्यप्रदेश में सरकार बना ली।
पिंजरे में कैद पंछी
को पिंजरे से बहार निकले जाने पर जो ख़ुशी होती है। वैसी ही ख़ुशी शायद
सारा दिन घरमे रहने
के बाद श्याम को ५ बजे जनता को हुई
इसी ख़ुशी को बयान करने
के लिए लोगो ने उत्सव की तरह थालिया बजाई,
ये साइकोलॉजिकल इफ़ेक्ट है शायद बहुत कम लोग जानते होंगे, हाँ मोदी जी ने भी कहा था
, तो बजा डाला
सारा क्रेडिट उन्हें
गया और मोदी जी क्रेडिट लेने में माहिर है ये तो जाहिर है। आखिर भारत के सबसे शक्तिशाली संविधानिक पदपर बैठे
है।
नागरिकता सच्चे नागरिक
के बिना अधूरी है
देखिये भारत के नागरिको
ने किस तरह देश
की मदद की है।
सौजन्य दिव्य भास्कर अहमदाबाद
२३ मार्च २०२० सोमवार
आज सबसे
पहले : कोरोना पर विजय
के लिए
महासंकल्प *अहमदाबाद से कच्छ
तक *कश्मीर से
कन्या कुमारी तक
*और कच्छ के
धानेटी गांव से १०२
वर्षीय वृद्धा रानी बेहेन
ने श्याम को ५
बजकर २० मिनिट
पर थाली बजाकर
कोरोना पर विजय
की शुरुवात की।
(सौजन्य पूर्ण )
तो ऐसे ही
NPR ,NRC
,CAA लागु न
हो इस लिए
हमें लगातार
विरोध करना चाहिए।करवाना
भी चाहिए। हम
कर रहे है।अगली बात करे
एक मजबूत दिव्यांग
की..
विल पावर : दिव्यांग होने
के बावजूद किया।
वेजलपुर अहमदाबाद में रहने
वालेे एक सीनियर
सिटीजन ने दिव्यांग
होने के बावजूद
व्हीलचेयर पर
आ कर, १०
मिनिट तक थाली बजाई।
राणिप ]बालकनी में परिवार
के साथ शंख
और थाली बजाकर
अभिवादन किया। (सौजन्य पूर्ण )
अब बात करते
है कोरोना, राजनीति , समाज , और
इन तीनों के पीछे
अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए
लाइन में लगी नागरिकता…
घंटिया
बजी, शंख बजे
,तालियां बजी, और
थालिया भी बजी।
फिर भी क्यों
बजी इसके सन्दर्भ
में जनता क
बिच अभी भी
भोलापन है।
किसी को लगता
है की इससे
कोरोना शायद भाग
जायेगा। लेकिन
सच्चाई ये है
की प्रधानमंत्री ने
इस लिए यह
कहा था की
ऐसा कर के
जो लोग हमारे
लिए घर के
बहार है
जैसे की सफाई नौजवान ,बिजली कर्मचारी ,प्रिंट मीडिया
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अख़बार वाले नर्स
डॉक्टर सब्जी वाले
दूध वाले पुलिस
कर्मी उन सभी
के सन्मान में अभिवादन करने के
लिए।
अब सवाल ये
है। की
हम घर क
घर में रह
जाये और जब
बहार निकले तो
ऐसा न हो
की हम पर पहले
से ही
NPR ,NRC ,CAA
लागु हो गया
हो। और हमसे कहा
जाये की
चलिए डिटेंशन सेंटर में।
अब आप भारत
के नागरिक नहीं
है।
इस पर बात
अगले👇 आर्टिकल में
जरूर होगी इसी
लिए हमें। NPR ,NRC ,CAA का
विरोध करना चाहिए
(https://thecmmnews247.blogspot.com/2020/04/nrc-npr-nric-caa-part-1-point-1.html#more)
ये अब हम सबको सोचना है। की वायरस से बचने के बाद भी मुसीबते कम नहीं हुई है। वायरस से बचे औरो को जागृत करे और घर बैठ कर शांत चित्त से अपने देश के भविष्य के बारे में भी सोचे क्यों की जो बच जायेंगे देश उन्ही के भरोसे आगे बढ़ेगा। .जय भारत जय संविधान। ... I.K.PATIL
(https://thecmmnews247.blogspot.com/2020/04/nrc-npr-nric-caa-part-1-point-1.html#more)
ये अब हम सबको सोचना है। की वायरस से बचने के बाद भी मुसीबते कम नहीं हुई है। वायरस से बचे औरो को जागृत करे और घर बैठ कर शांत चित्त से अपने देश के भविष्य के बारे में भी सोचे क्यों की जो बच जायेंगे देश उन्ही के भरोसे आगे बढ़ेगा। .जय भारत जय संविधान। ... I.K.PATIL
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